लखनऊ-उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोगने पंचायत चुनावके लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही यूपी में आचार संहिता (Code Of Contuct) लागू हो गई है. राज्य निर्वाचन आयोग ने 4 चरणों में मतदान कराने का ऐलान किया है. निर्वाचन आयोग की आदर्श चुनाव आचार संहिता राजनीतिक दलों एवं प्रत्याशियों के लिये बनायी गयी एक नियमावली है. जिसका पालन चुनाव के समय आवश्यक है. चुनाव आयोग चुनाव से पहले इसके लागू होने की घोषणा करता है और चुनाव के बाद इसके समाप्त होने की.क्या
पंचायत चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद ।आचार संहिता लागू
वोटरों को किसी भी तरह का लालच या रिश्वत नहीं दिया जाएगा. लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर भी निर्वाचन आयोग (का परमिशन जरुरी होता है.
लखनऊ- उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोगने पंचायत चुनावके लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही यूपी में आचार संहिता (Code Of Contuct) लागू हो गई है. राज्य निर्वाचन आयोग ने 4 चरणों में मतदान कराने का ऐलान किया है. निर्वाचन आयोग की आदर्श चुनाव आचार संहिता राजनीतिक दलों एवं प्रत्याशियों के लिये बनायी गयी एक नियमावली है. जिसका पालन चुनाव के समय आवश्यक है. चुनाव आयोग चुनाव से पहले इसके लागू होने की घोषणा करता है और चुनाव के बाद इसके समाप्त होने की.
क्या है आदर्श आचार संहिता
मुक्त और निष्पक्ष चुनाव किसी भी लोकतंत्र की बुनियाद होती है और लोकतांत्रिक भारत में ये बुनियाद और मजबूत हो सके इसके लिए आचार संहिता लागू की जाती है. मगर कुछ कमियां भी रह जाती है. चुनावी आपाधापी में मैदान में उतरे उम्मीदवार अपने पक्ष में हवा बनाने के लिये सभी तरह के हथकंडे आजमाते हैं. ऐसे माहौल में सभी उम्मीदवार और सभी राजनीतिक दल वोटर्स के बीच जाते हैं. अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को रखने के लिये सभी को बराबर का मौका देना एक बड़ी चुनौती बन जाता है और आदर्श आचार संहिता इस चुनौती को कुछ हद तक कम करती है.
चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही यह लागू हो जाती है और नतीजे आने तक जारी रहती है. दरअसल ये वो दिशा-निर्देश हैं, जिन्हें सभी राजनीतिक पार्टियों को मानना होता है. आचार संहिता लागू होने के बाद राज्य का मुख्यमंत्री या मंत्री या कोई भी अधिकारी नेता किसी तरह की कोई घोषणा, उद्घाटन और शिलान्यास नहीं कर सकते. कोई भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल को अगर कोई जुलूस निकालने या रैली करने के लिए निर्वाचन आयोग से परमिशन लेना होता है.
नई योजनाओं की घोषणाओं पर रोक
पार्टी या उम्मीदवार कोई ऐसा भाषण या काम नहीं कर सकता जिससे किसी खास समुदाय या वर्ग के लोगों के बीच तनाव पैदा हो आचार संहिता लगने के बाद राज्य में कोई भी नई योजनाओं की शुरुआत नहीं हो सकती लेकिन, कुछ विशेष परिस्थितियों में निर्वाचन आयोग से अनुमति लेने के बाद शुरु की जा सकती है.आचार संहिता लगने के बाद घर, गाड़ी और हेलीकाप्टर जैसे सरकारी चीजों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं कर सकते. चुनाव के दौरान धार्मिक स्थलों का प्रयोग नहीं होगा. वोट पाने के लिए कोई भी दल या उम्मीदवार किसी जाति या धर्म का सहारा नहीं लेगा.
नहीं होगा लाऊडस्पीकर का इस्तेमाल
वोटरों को किसी भी तरह का लालच या रिश्वत नहीं दिया जाएगा. लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर भी निर्वाचन आयोग का परमिशन जरुरी होता है. रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाऊडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. मतदान होने के 48 घंटे पहले किसी भी तरह का प्रचार नहीं किया जा सकता उसमें सोशल मीडिया से लेकर सभी माध्यमों से आने वाले चुनावी विज्ञापन भी होंगे. कोई भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार वोट पाने के लिए निजी बयान नहीं दे सकता, लेकिन कामों की आलोचना कर सकता है.
सरकारी दौरे पर प्रतिबंध
सत्ताधारी पार्टी के लिए कोई भी सत्ताधारी नेता आचार संहिता लागू होने के बाद कोई नई योजना या नया आदेश नहीं लागू कर सकता. इसके साथ ही चुनाव प्रचार के लिए सरकारी पैसा को इस्तेमाल नहीं कर सकते. कोई भी मंत्री चुनाव के दौरान किसी भी सरकारी दौरे को चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता है. साथ ही चुनाव के लिए सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल भी नहीं कर सकता है. निर्वाचन अवधि के दौरान राजकोष की लागत से सत्तारुढ़ दल की उपलब्धियों से संबंधित विज्ञापन और सरकारी मास मीडिया के दुरुपयोग पर प्रतिबंध रहेगा.पंचायत चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद ।आचार संहिता लागू
वोटरों को किसी भी तरह का लालच या रिश्वत नहीं दिया जाएगा. लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर भी निर्वाचन आयोग (का परमिशन जरुरी होता है.
लखनऊ- उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोगने पंचायत चुनावके लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही यूपी में आचार संहिता (Code Of Contuct) लागू हो गई है. राज्य निर्वाचन आयोग ने 4 चरणों में मतदान कराने का ऐलान किया है. निर्वाचन आयोग की आदर्श चुनाव आचार संहिता राजनीतिक दलों एवं प्रत्याशियों के लिये बनायी गयी एक नियमावली है. जिसका पालन चुनाव के समय आवश्यक है. चुनाव आयोग चुनाव से पहले इसके लागू होने की घोषणा करता है और चुनाव के बाद इसके समाप्त होने की.
क्या है आदर्श आचार संहिता
मुक्त और निष्पक्ष चुनाव किसी भी लोकतंत्र की बुनियाद होती है और लोकतांत्रिक भारत में ये बुनियाद और मजबूत हो सके इसके लिए आचार संहिता लागू की जाती है. मगर कुछ कमियां भी रह जाती है. चुनावी आपाधापी में मैदान में उतरे उम्मीदवार अपने पक्ष में हवा बनाने के लिये सभी तरह के हथकंडे आजमाते हैं. ऐसे माहौल में सभी उम्मीदवार और सभी राजनीतिक दल वोटर्स के बीच जाते हैं. अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को रखने के लिये सभी को बराबर का मौका देना एक बड़ी चुनौती बन जाता है और आदर्श आचार संहिता इस चुनौती को कुछ हद तक कम करती है.
चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही यह लागू हो जाती है और नतीजे आने तक जारी रहती है. दरअसल ये वो दिशा-निर्देश हैं, जिन्हें सभी राजनीतिक पार्टियों को मानना होता है. आचार संहिता लागू होने के बाद राज्य का मुख्यमंत्री या मंत्री या कोई भी अधिकारी नेता किसी तरह की कोई घोषणा, उद्घाटन और शिलान्यास नहीं कर सकते. कोई भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल को अगर कोई जुलूस निकालने या रैली करने के लिए निर्वाचन आयोग से परमिशन लेना होता है.
नई योजनाओं की घोषणाओं पर रोक
पार्टी या उम्मीदवार कोई ऐसा भाषण या काम नहीं कर सकता जिससे किसी खास समुदाय या वर्ग के लोगों के बीच तनाव पैदा हो आचार संहिता लगने के बाद राज्य में कोई भी नई योजनाओं की शुरुआत नहीं हो सकती लेकिन, कुछ विशेष परिस्थितियों में निर्वाचन आयोग से अनुमति लेने के बाद शुरु की जा सकती है.आचार संहिता लगने के बाद घर, गाड़ी और हेलीकाप्टर जैसे सरकारी चीजों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं कर सकते. चुनाव के दौरान धार्मिक स्थलों का प्रयोग नहीं होगा. वोट पाने के लिए कोई भी दल या उम्मीदवार किसी जाति या धर्म का सहारा नहीं लेगा.
नहीं होगा लाऊडस्पीकर का इस्तेमाल
वोटरों को किसी भी तरह का लालच या रिश्वत नहीं दिया जाएगा. लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर भी निर्वाचन आयोग का परमिशन जरुरी होता है. रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाऊडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. मतदान होने के 48 घंटे पहले किसी भी तरह का प्रचार नहीं किया जा सकता उसमें सोशल मीडिया से लेकर सभी माध्यमों से आने वाले चुनावी विज्ञापन भी होंगे. कोई भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार वोट पाने के लिए निजी बयान नहीं दे सकता, लेकिन कामों की आलोचना कर सकता है.
सरकारी दौरे पर प्रतिबंध
सत्ताधारी पार्टी के लिए कोई भी सत्ताधारी नेता आचार संहिता लागू होने के बाद कोई नई योजना या नया आदेश नहीं लागू कर सकता. इसके साथ ही चुनाव प्रचार के लिए सरकारी पैसा को इस्तेमाल नहीं कर सकते. कोई भी मंत्री चुनाव के दौरान किसी भी सरकारी दौरे को चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता है. साथ ही चुनाव के लिए सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल भी नहीं कर सकता है. निर्वाचन अवधि के दौरान राजकोष की लागत से सत्तारुढ़ दल की उपलब्धियों से संबंधित विज्ञापन और सरकारी मास मीडिया के दुरुपयोग पर प्रतिबंध रहेगा.
है आदर्श आचार संहिता
मुक्त और निष्पक्ष चुनाव किसी भी लोकतंत्र की बुनियाद होती है और लोकतांत्रिक भारत में ये बुनियाद और मजबूत हो सके इसके लिए आचार संहिता लागू की जाती है. मगर कुछ कमियां भी रह जाती है. चुनावी आपाधापी में मैदान में उतरे उम्मीदवार अपने पक्ष में हवा बनाने के लिये सभी तरह के हथकंडे आजमाते हैं. ऐसे माहौल में सभी उम्मीदवार और सभी राजनीतिक दल वोटर्स के बीच जाते हैं. अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को रखने के लिये सभी को बराबर का मौका देना एक बड़ी चुनौती बन जाता है और आदर्श आचार संहिता इस चुनौती को कुछ हद तक कम करती है.
चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही यह लागू हो जाती है और नतीजे आने तक जारी रहती है. दरअसल ये वो दिशा-निर्देश हैं, जिन्हें सभी राजनीतिक पार्टियों को मानना होता है. आचार संहिता लागू होने के बाद राज्य का मुख्यमंत्री या मंत्री या कोई भी अधिकारी नेता किसी तरह की कोई घोषणा, उद्घाटन और शिलान्यास नहीं कर सकते. कोई भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल को अगर कोई जुलूस निकालने या रैली करने के लिए निर्वाचन आयोग से परमिशन लेना होता है.
नई योजनाओं की घोषणाओं पर रोक
पार्टी या उम्मीदवार कोई ऐसा भाषण या काम नहीं कर सकता जिससे किसी खास समुदाय या वर्ग के लोगों के बीच तनाव पैदा हो आचार संहिता लगने के बाद राज्य में कोई भी नई योजनाओं की शुरुआत नहीं हो सकती लेकिन, कुछ विशेष परिस्थितियों में निर्वाचन आयोग से अनुमति लेने के बाद शुरु की जा सकती है.आचार संहिता लगने के बाद घर, गाड़ी और हेलीकाप्टर जैसे सरकारी चीजों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं कर सकते. चुनाव के दौरान धार्मिक स्थलों का प्रयोग नहीं होगा. वोट पाने के लिए कोई भी दल या उम्मीदवार किसी जाति या धर्म का सहारा नहीं लेगा.
नहीं होगा लाऊडस्पीकर का इस्तेमाल
वोटरों को किसी भी तरह का लालच या रिश्वत नहीं दिया जाएगा. लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर भी निर्वाचन आयोग का परमिशन जरुरी होता है. रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाऊडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. मतदान होने के 48 घंटे पहले किसी भी तरह का प्रचार नहीं किया जा सकता उसमें सोशल मीडिया से लेकर सभी माध्यमों से आने वाले चुनावी विज्ञापन भी होंगे. कोई भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार वोट पाने के लिए निजी बयान नहीं दे सकता, लेकिन कामों की आलोचना कर सकता है.
सरकारी दौरे पर प्रतिबंध
सत्ताधारी पार्टी के लिए कोई भी सत्ताधारी नेता आचार संहिता लागू होने के बाद कोई नई योजना या नया आदेश नहीं लागू कर सकता. इसके साथ ही चुनाव प्रचार के लिए सरकारी पैसा को इस्तेमाल नहीं कर सकते. कोई भी मंत्री चुनाव के दौरान किसी भी सरकारी दौरे को चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता है. साथ ही चुनाव के लिए सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल भी नहीं कर सकता है. निर्वाचन अवधि के दौरान राजकोष की लागत से सत्तारुढ़ दल की उपलब्धियों से संबंधित विज्ञापन और सरकारी मास मीडिया के दुरुपयोग पर प्रतिबंध रहेगा.