डॉ० अर्चना शुक्ला मिश्रा
**** आजादी के सपूत ****
दिल लगा बैठे थे अपने देश से
आशिकों सी वो वफा फिर कर गए
सिर उठाकर ये जिए और कह गए
सिर झुकाने की यहाँ आदत नही
ये अमर बलिदान, भारत -भूमि मे
राजगुरू ने राज ,भारत को दिया ।
सुखदेव ने सुखराह देकर चल दिया ।
ये भगत भक्ति की धारा दे गए,
ये शहादत देश हित में कर गए ।
वीरमाता के अजब ये पूत थे,
मातृभूमि में जाँ निछावर कर गए ,
भारती माँ को आजादी दे गए,
दासता की बेड़ियों को काटकर,
चूमते फाँसी का फंदा वो गए,
देश की माटी में वो चंदन बने,
भारती माँ का वो वंदन कर गए,
है नमन शत-शत ये भारत देश का,
पथ तुम्हारे हम चलें यह कह गए,
जो विरासत में हमे वो दे गए,
वीर सैनिक बन युवा धारण करें,
अब ये परिपाटी निभाते हम चलें ।