अच्छी नींद से सलामत रहेगी सेहत, ये 10 टिप्स अपनाएं

नई दिल्ली। हमारे देश में कभी आयुर्वेद के प्रयोग से ही लोग लंबी उम्र पाते थे और बीमारियों का नामोनिशान तक नहीं था, किंतु जैसे-जैसे हम आधुनिक युग में आए, हमने अपने जीवन जीने का तरीका ही बदल दिया। आधुनिक जीवन में सुबह उठने से लेकर रात्रि में सोने तक हम पूरी तरह भौतिकवादी एवं विलासितावादी सहारों पर टिके हुए हैं। वाहनों पर सफर करने के कारण पैदल न चलना, रासायनिक खाद से बने हुए भोजन का प्रयोग, एसी में रहना, फ्रिज में रखे हुए भोजन का प्रयोग, ठंडे पानी का प्रयोग कमोबेश सभी की आदत बन चुकी है। अनेक प्रकार के जंक फूड जो पोषण रहित एवं संक्रमण से युक्त हैं, उनका प्रयोग लगातार बढ़ रहा है।
आयुर्वेद के आचार्यों के अनुसार आहार, निद्रा एवं ब्रह्मचर्य ही जीवन का आधार है। यदि इन तीनों का पूर्णतया: स्वस्थ तरीके से प्रयोग किया जाए तो जीवन स्वस्थ एवं सम्यक रूप से व्यतीत होगा। आधुनिक जीवनशैली में आहार एवं निद्रा दोनों ही अव्यवस्थित हैं। तनाव भरा जीवन, प्रतिस्पर्धा, महत्वाकांक्षा एवं अज्ञानता ने हमारे जीवन में इन दोनों जरूरतों पर गहरा आघात किया है। नींद का पूरा न होना आम समस्या है और इसका कारण प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग है।
अस्वस्थ होता है पाचन तंत्र: अच्छी नींद आने के लिए भोजन समय पर करना चाहिए। अनियमित भोजन करने से, अधिक भोजन करने से या भोजन न करने से पाचन तंत्र का कार्य व्यवस्थित नहीं रहता है और मनुष्य को पाचन संबंधी बीमारियां हो जाती हैं। इससे अच्छी नींद नहीं आती। इन समस्याओं का सरल समाधान आयुर्वेद में बताया गया है। सम्यक प्रकार से निद्रा प्राप्त करने के लिए ये काम किए जा सकते हैं।
बिगड़ जाती है शारीरिक क्रिया: नींद पूरी न होने से हमारे शरीर की क्रियाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ता है एवं शरीर का मेटाबॉलिज्म अनियमित हो जाता है। हार्मोन एवं एंजाइम अपना कार्य सहज रूप से नहीं कर पाते हैं और उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, अवसाद एवं अनेक प्रकार के मानसिक रोगों का खतरा हो जाता है। अनिद्रा खासतौर पर उनकी समस्या है, जिनका सोने का समय व्यवस्थित नहीं है। तनाव के कारण नींद पूरी न होने की समस्या भी बनी रहती है। गंभीर बीमारियों में भी रोगी को नियमित रूप से अच्छी नींद नहीं आती है। आचार्य सुश्रुत ने निद्रा को वैष्णवी अर्थात विष्णु की माया कहा है। जिस प्रकार भगवान विष्णु इस जगत का भरण पोषण करते हैं उसी प्रकार निद्रा भी शरीर का पालन-पोषण करती है।
- अपने कार्य करने के समय को जरूर निर्धारित करें
- सोने का स्थान शांत, स्वच्छ व हवादार होना चाहिए
- टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर से सोने के एक घंटे पहले दूरी बना लेनी चाहिए
- यदि कोई शारीरिक समस्या न हो तो रात्रि में गुनगुने दूध का सेवन करना चाहिए
- रात को सोने से करीब तीन घंटे पहले भोजन कर लेना चाहिए ताकि उसका पाचन सही प्रकार से हो सके
- एसिडिटी रहने पर दूध में मुनक्के उबालकर लें अथवा अविपत्तिकर चूर्ण, सूतशेखर रस का प्रयोग भी कर सकते हैं
- अच्छी निद्रा के लिए रात्रि को गुनगुने दूध के साथ तीन ग्राम अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करना चाहिए। इससे तंत्रिकाओं को बल मिलता है
- नींद न आने पर एलोपैथिक दवाओं का प्रयोग अधिक नहीं करना चाहिए। इनकी आदत हो जाती है, जिससे तंत्रिका तंत्र को नुकसान होता है
- अधिक मिर्च-मसाले वाले भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। मिर्च-मसाले शरीर में विदाह उत्पन्न करते हैं जिससे निद्रा में बाधा पहुंचती है
- यदि किसी व्यक्ति को लगातार कब्ज बना रहता है तो इसे दूर करने के लिए रात्रि में गुनगुने पानी के साथ त्रिफला चूर्ण व हरीतकी चूर्ण का प्रयोग करना चाहिए
चिकित्सक से लें सलाह: यदि नींद न आने की शिकायत लगातार बनी रहे तो शिरोधारा का भी प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। नींद न आने से अनेक बीमारियां उत्पन्न होने का खतरा बना रहता है जिनमें मानसिक व्याधियां प्रमुख हैं। अच्छी नींद के लिए मनुष्य को आयुर्वेद में बताए हुए आहार-विहार एवं औषधियों का प्रयोग करना चाहिए। हालांकि कोई भी औषधि बिना चिकित्सक की सलाह के उपयोग नहीं करना चाहिए।