सत्ता की चाहत में राजनेता क्या-क्या नहीं कर गुजरते। सत्ता की चाहत और कुर्सी की लालच में राजनेता सब कुछ कर गुजरने को तैयार रहते हैं। इसका एक ताजा रूप कश्मीर की सियासत में फिर से एक बार देखने को मिला। जम्मू-कश्मीर में धारा 37० की वापसी और तिरंगे को लेकर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बयानबाजी ने राज्य ही नहीं, देश का सियासी पारा चढ़ा दिया है। महबूबा मुफ्ती के बयानों को कई राजनेताओं ने अपने-अपने अनुसार परिभाषित किया है।
एक प्रेस कान्फ्रेंस में मुफ्ती ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के अलावा कोई अन्य (तिरंगा) झंडा नहीं उठाएंगी। प्रेस कान्फ्रेंस के द्वारा महबूबा मुफ्ती ने ऐलान किया कि मैं जम्मू-कश्मीर के अलावा दूसरा कोई झंडा नहीं उठाऊंगी यानी उन्होंने फिर से एक देश दो झंडे वाली सियासत को आगे करते हुए तिरंगा हाथ में लेने से इंकार किया।
देश के जाने-माने नेता एवं मुखर प्रवक्ता राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने धारा 37० के मुद्दे पर कहा कि आर्टिकल 37० अब संविधान का नहीं बल्कि राष्ट्रीय अभिलेखागार का विषय है। इसे संविधान की पुस्तकों में नहीं बल्कि अभिलेखागार की फाइलों में पढ़ा जाएगा। इसके साथ ही सिन्हा ने कहा कि न अब आर्टिकल 37० कभी वापस आएगा और न ही महबूबा मुफ्ती कभी सत्ता में वापस आएंगी। देश के सम्मान एवं राष्ट्रध्वज वाली टिप्पणी पर राज्यसभा सांसद ने कहा कि जिस तिरंगे की वह बात कर रही हैं, वह तिरंगा उनका मोहताज नहीं है। लाखों लोगों ने अपने त्याग और समर्पण से तिरंगे को पवित्रता दी है। राष्ट्र का तिरंगा 13० करोड़ जनता के सम्मान और देश की संप्रभुता का प्रतीक है। इसका जो कोई भी अपमान करेगा, उसे देश की जनता और संविधान निश्चित ही खारिज कर देंगे।
वर्तमान समय में जिस प्रकार की सियासत को महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर से हवा दी है, वह बहुत ही विचित्र है क्योंकि जिस प्रकार की बयानबाजी महबूबा के द्वारा की गई, वह कश्मीर के लिए बहुत ही घातक है। आजादी के बाद से लगातार आग की लपटों में जलता हुआ कश्मीर अभी ठीक से संभला भी नहीं था कि एक बार फिर से कश्मीर की सियासत ने कश्मीर को फिर से जलाने के लिए भड़काऊ भाषण देना आरंभ कर दिया। इस भाषण के पीछे महबूबा की मंशा पूरी तरह से साफ एवं स्पष्ट है कि महबूबा क्या चाहती हैं क्योंकि जिस प्रकार से जम्मू एवं कश्मीर का परिसीमन किया गया है, उस परिसीमन में महबूबा की सियासत को गहरी चोट पहुँची है। केन्द्र सरकार के द्वारा जिस प्रकार की रेखा खींची गई है उसके आधार पर महबूबा चिंतित हैं क्योंकि केन्द्र शासित प्रदेश बनने के बाद सीधे-सीधे गृह मंत्रलय से संचालित वर्तमान समय के समीकरण में महबूबा की सियासत कहीं भी दूर-दूर टिकती हुई नहीं दिखाई दे रही है। इसलिए सत्ता की चाहत में महबूबा ने एक बार फिर से कश्मीर का झंडा राग अलापना शुरू कर दिया।
अपनी खोई हुई सियासत को पाने के लिए महबूबा ने जिस प्रकार का सियासी दाँव चला है, वह कोई नई बात नहीं है क्योंकि सत्ता की चाहत और कुर्सी की कसक ने सदैव ही राजनेताओं को ऐसे भड़काऊ भाषण देते सुना है। जब सियासी जमीन खिसक जाती है तो राजनेता अपनी सियासी जमीन खोजने के प्रयास में अनेकों प्रकार के भाषण देते रहते हैं जोकि खोई हुई सत्ता की चाभी की कसक को उजागर करते हैं। सत्ता की चाहत और कुर्सी के लालच में महबूबा एक बार फिर से कश्मीर को उसी दलदल की ओर धकेलना चाहती हैं।
इसका प्रमाण उनका यह भाषण सिद्ध करता है परन्तु क्या ऐसा हो पाएगा…? यह बड़ा सवाल है। जैसा कि महबूबा मुफ्ती चाह रही हैं कि फिर से पुन: कश्मीर आग के गोले के रूप में परिवर्तित हो, यह बड़ा सवाल है…? क्या कश्मीर का युवा फिर से उसी दलदल की ओर पुन: अग्रसर होगा अथवा भविष्य की योजनाओं की ओर, यह बड़ा सवाल है क्योंकि इस प्रकार के राजनेता अपनी सियासी रोटी सेंकने के लिए युवाओं का प्रयोग सदैव करते रहे हैं। राजनेताओं के द्वारा ऐसे कृत्य सदैव ही देखे गए हैं। ऐसे राजनेता अपनी सियासत चमकाने के लिए युवाओं की बलि देते रहते हैं। अत: युवाओं को समझ लेना चाहिए कि यह राजनेता ऐसा भाषण मात्र सत्ता के लालच में देते हैं, इससे इतर और कुछ नहीं। इन नेताओं को मात्र सत्ता की कुर्सी से प्यार है, जनता से नहीं। यह सत्य है कि इस प्रकार के नेता अपना भविष्य देखते हैं, जनता का नहीं। ऐसे राजनेता तो अपनी संतानों को विदेश में रखकर उच्च कल्चर एवं उच्च शिक्षा प्राप्त करवाते हैं लेकिन जनता को दलदल में धकेलने का प्रयास करते हैं। ऐसा करना युवाओं के साथ बहुत बड़ा छलावा है।
इसलिए कश्मीर के नौजवानों को समझ लेना चाहिए कि ऐसे नेताओं के भाषणों में कदापि नहीं आना चाहिए। कश्मीर के नौजवानों को शिक्षा के क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए और जागरूक नागरिक बनना चाहिए। ऐसे राजनेताओं के हाथ की कठपुतली कदापि नहीं बनना चाहिए क्योंकि यदि इन राजनेताओं का इतिहास उठाकर देख लीजिए तो स्थिति बिलकुल साफ एवं स्पष्ट हो जाती है क्योंकि ये राजनेता अपनी संतानों को तो उच्च शिक्षा प्राप्त करवाने के लिए विदेश में शिफ्ट कर देते हैं और गरीब युवाओं को भड़काकर अपनी राजनीति चमकाते रहते हैं। जनता के साथ यह धोखा बहुत दिनों से हो रहा है जिसको अब जनता को बखूबी समझ लेना चाहिए और ऐसे राजनेताओं को उखाड़ फेंकना चाहिए जोकि अपनी सियासत को चमकाने के लिए गरीब बच्चों का भविष्य अंधेरे में झोंक देते हैं। इस प्रकार के नेता समाज के लिए किसी कैंसर से कम नहीं हैं और जीवन के लिए बहुत ही घातक हैं। खास करके जम्मू एवं कश्मीर के प्रत्येक युवा को भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए०पी०जे०ए० कलाम को अपना आदर्श एवं रोल माडल मानकर आगे बढऩा चाहिए। जीवन में शिक्षित बनकर प्रगति करनी चाहिए और देश एवं प्रदेश का नाम उज्ज्वल करना चाहिए। -अनूप