– हंसराज”हंस”
मानव जीवन पाया है तो, सेवा धर्म निभाओ
धन,दौलत सब यहीं छुटेगा,
सेवा करके पुण्य धन कमाओ।
दीन,दु:खयों, बेसहारों की,दास भाव से करो सेवा।
जन्म सार्थक बन जाएगा,सेवा से ही पायेगे मेवा।
हर क्रिया की होती है प्रतिक्रिया,है नियम ये प्रकृति का।
निष्पक्ष,निर्लोभ करती है सबकी सेवा,यही मार्ग है सबकी उन्नती का।
पराये दु:ख,दर्द में, रखोगे अपनी सहानुभूति,तो धीरे धीरे होने लग जाएगी समानूभूति।
सदा रखो सेवक भाव, अपने मंदिर में।
दया, परोपकार, सहयोग,खूब रचा बसा हो आपके अंदर में।
रामजी की सेवा की, हनुमान ने,सेवा में भाव होते है प्रधान।
सेवाभाव ही था, जिससे श्रवण बना महान।
हंसराज हंस कहता है,सेवा करो रात और दिन।
तो “पौ बारह पच्चीस”होती जायेगी, सबके दिनों दिन।
कवि का संक्षिप्त परिचय
हंसराज तंवर अध्यापक गत 30 वर्षो से अध्यापन का कार्य करवा रहे है।