हिंदुस्तान की जन संस्कृति को विदेशियों ने भी अपनाया

करवा चौथ सुहागिने रखेंगी दिन भर निर्जल निराहार व्रत
पंकज पाराशर
हिंदुस्तान की जन संस्कृति और रीति रिवाजों को विदेशियों ने भी अपनाया है l विवाहित जीवन श्रद्धा और विश्वास जीवन की पूंजी है l करवा चौथ पर सुहागिने दिन भर दिन भर निराहार व्रत रखेंगी l सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ चार नवंबर यानि बुधवार को सर्वार्थ सिद्धि योग अमृत एवं शिवयोग में मनाया जाएगा। चतुर्थी गणेश जी की तिथि है। दिन बुधवार होने के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग, शिव योग,अमृत योग भी रहेगा। यह संयोग महिलाओं की मनोकामना पूरी करने में शुभ होगा। विधि विधान से माता पार्वती व भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाएगी। करवा चौथ की कथा सुनेंगी। फिर रात को चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद व्रत खोलेंगी । करवा चौथ पर चंद्रोदय रात 8:24 बजे होगा। पहली बार करवा चौथ व्रत करने वाली नवविवाहिता में विशेष उत्साह बना हुआ है। वह घर की बुजुर्ग महिलाओं मां सास ननद आदि से घर की परंपरा अनुसार इस व्रत को करने का विधि विधान समझ रही हैं। महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पूजा करेंगी। इसके लिए अभी से महिलाओं में बाजारों में जरूरी सामान की खरीदारी शुरू कर दी है। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। करवा चौथ के लिए पूजा का मुहुर्त शाम 5:29 से 6:48 बजे तक है। चतुर्थी तिथि चार नवंबर को दोपहर 3:24 बजे से प्रारंभ होकर पांच नवंबर को शाम 5:14 समाप्त होगी । विवाहित महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए यह व्रत करेंगी। वहीं मनपसन्द वर पाने के लिए कुंवारी युवती अभी निर्जला व्रत रखेगी ।