Spirituality

नारी शक्ति का परिचायक है नव दुर्गा पूजा

आत्माराम त्रिपाठी

आज जंहा चारों तरफ से नारी उत्पीड़न नारी के साथ हिंसा शोषण की खबरें आम बात हो गई है।वहीं जब आज के दिन पे नजर डालते हैं और उस पर मनन करते हैं तो पाते हैं कि क्या वास्तव में हम नारी के इस स्वरूप के प्रति श्रद्धा रखते हैं उसका सम्मान करते हैं जिसकी वह हकदार हैं।य फिर हम यहां भी उसके इस स्वरूप का फायदा उठाते हैं? हम यहां उनकी पूजा अर्चना करते हैं उन्हें जगत जननी की उपाधि देते हैं और वह इस सृष्टि की जननी है भी उसी की कोख से सूफी संत ख्वाजा अमीर गरीब दलित मजदूर नदियां पहाड़ पशु पक्षी सुर असुर जती सती धर्म अधर्म सभी ने तो जन्म लिया है।सभी का सृजन हुआ। और उसने अपनी इस संतान को हमेशा समद्रष्टि से देखा। और उसे सतमार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। किंतु यहां न तो उनके बताए मार्ग पर कोई चला न चल रहा है।एक अंधी गुफा की तरफ सभी दौड़ लगा रहे हैं जिसका न कोई अंत है न भविष्य नहीं कोई किनारा।यह नौ दिन मातृशक्ति का अहसास कराने वाले दिन है उस मातृशक्ति का जिसके ऊपर राहचलते फ फब्तियां करने में लोग अपनी शान समझते हैं उसका योन शोषण करने में उसके साथ हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम देने में अपने पुरूषार्थ की गरिमा समझते हैं और वहीं उसके सामने आज उसकी सत्ता को स्वीकार कर उसके स्वरूप के सामने नतमस्तक होते हैं और अपनी इच्छाओं को सामने रखकर उनके पूर्ति कराने का बरदान चाहते हैं।जिसके स्वरूप का अनादर करते रहे उसी के सामने नतमस्तक होते हैं।पर देखो मां को जो इतना सबकुछ होने के बाद भी मां है अपनी रचनाओं के द्वारा किए गए अक्षम्य अपराधों को भी ममता की दृष्टि से देखती है और इस आशा के साथ अब उसमें सुधार आ रहा है और अपने चौखट पर आई हुई अपनी इस संतान को पूत को जो कपूत बने हैं पर माता कुमाता नहीं बनी वह उनके गलतियों को दर किनार कर वात्सल्य लुटा रही है। जगह जगह विराजमान हो गई है मां संपूर्ण धरा में मां का ही जयघोष सुनाई दे रहा है ऐसा जय घोष ऐसी हुंकार ऐसा शंखनाद की अताताई दुबकने को बाध्य हो गये य मां की शरण में आने के लिए। मां ने पूरे संसार को अपनी मातृशक्ति का अहसास कराया और बता दिया संपूर्ण नारी जाति को की वह अपने को पहचाने अपने अंदर छिपी मेरे उस स्वरूप को पहचाने वह निरीह अबला नहीं है एक शक्ति है और वह अपने आप में आ जाए तो बिध्वंसकारी शक्तियों का विनाष करने की क्षमता रखती है वह उसीका स्वरूप है।अगर वह मां का रूप धारण कर सबका लालन-पालन कर सकती है तो काली का रूप धारण कर आसुरी प्रवत्तियो का संघार भी।

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