अनिल अनूप
लेकिन डा. फारूक अब्दुल्ला चीन के जरिए ही जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35-ए की बहाली का सपना देख रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का ऐसा बयान, यकीनन, देश-विरोधी है, क्योंकि वह संसद और संविधान का अपमान कर रहा है। फारूक की जुबां फिसलती रही है और वह कुछ भी बयान देते रहे हैं। पहले पाकिस्तान का राग अलापते थे। अब वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत-चीन की सेनाएं आमने-सामने तैनात हैं, युद्ध कभी भी हो सकता है, तो फारूक चीन को हमारे अंदरूनी मामले में खींच रहे हैं। आधुनिक जयचंद…! कश्मीरी नेता ने यहां तक धमकी दी थी कि यदि अनुच्छेद 370 और 35-ए को हाथ लगाया गया, तो कश्मीर के भारत के साथ रिश्ते खत्म हो जाएंगे। कश्मीर की शांति भंग होगी। यह तय करने वाले फारूक अब्दुल्ला कौन होते हैं? उनके भारत-विरोधी सार्वजनिक बयानों को बर्दाश्त क्यों किया जाता रहा है? जम्मू-कश्मीर पर उन्होंने, उनके वालिद शेख अब्दुल्ला और बेटे उमर अब्दुल्ला ने कुल मिलाकर करीब 30 साल तक राज किया है।
वह सत्ता किसके सौजन्य से थी? देश की आजादी से लेकर आज तक कश्मीर को जो संसाधन मिले हैं, जो आर्थिक पैकेज दिए गए हैं और अंततः उसका अस्तित्व बरकरार रहा है, तो किसके भरोसे यह व्यवस्था चलती रही? फारूक मुख्यमंत्री के अलावा भारत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और आज भी लोकसभा सांसद हैं, तो ये संवैधानिक और अतिविशिष्ट ओहदे किस देश ने दिए? जाहिर है कि नमक भारत का खाते रहे हैं। किसी भी तरह करोड़ों रुपए और संपदाएं अर्जित की हैं, तो भारत में ही और भारत की बदौलत ही की हैं। गुणगान कभी पाकिस्तान का, तो अब चीन का…! भारत के खिलाफ ही, पाकिस्तान और चीन के साथ, संबंधों की पींग बढ़ाते रहे हैं। यह बर्दाश्त करने की मजबूरी क्या है? आज जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त हुए एक साल से अधिक का समय बीत चुका है। संसद ने तीन दिनों तक इस आशय के बिल पर चर्चा की और फिर पारित कर देश की ऐतिहासिक गलती को सुधारा है। आज जम्मू-कश्मीर एक संघशासित क्षेत्र है और लद्दाख को उससे अलग करके स्वतंत्र केंद्रशासित क्षेत्र बनाया जा चुका है। अनुच्छेद 370 और 35-ए के जरिए कश्मीर का ‘विशेष दर्जा’ भी समाप्त कर दिया गया है। अब कश्मीर देश के अन्य राज्यों और क्षेत्रों की तरह है। कोई भी भारतीय वहां संपत्ति खरीद सकता है, अपना व्यापार स्थापित कर सकता है और वहां स्थायी तौर पर बस सकता है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर को ‘विशेष दर्जा’ दिलवाया था। संविधान में वह व्यवस्था ‘अस्थायी’ थी। फारूक कहते हैं कि यदि 370 और 35-ए ‘अस्थायी’ थे, तो जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय भी ‘अस्थायी’ है। यह भी दस्तावेजी यथार्थ को नकारने का बयान है। हम लगातार सवाल करते रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर को ‘विशेष दर्जा’ क्यों दिया गया था?