Punjab

दशहरे पर पुतले के ऑर्डर ना मिलने से कारीगर हुए निराश

विशाल भगत की रिपोर्ट

जालंधर दशहरे को 15 दिन शेष हैं। अभी तक सड़कों पर न तो रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले तैयार होते दिख रहे हैं न ही बाहर से कारीगर यहां पर पुतले तैयार करने आए हैं। जेल रोड पर तीन पीढ़ियों से पुतले बनाने का काम करने वाले परिवारों को अभी तक कोई बड़ा आर्डर नहीं मिला है।दो मोहल्ला सोसायटियों ने दस फुट के दो पुतले तैयार करने का आर्डर दिया है। जिससे दशहरे पर आस लगाए बैठे इन परिवारों की उम्मीद पर पानी फिर गया है। जेल रोड पर दशहरे पर पुतले तैयार करने वाले बाबू लाल के मुताबिक लोगों को आकर्षित करने के लिए इस बार दाम बढ़ाने की बजाय कम करने पड़े हैं। दस फुट का जो पुतला तैयार करके पांच से छह हजार का बेचा जाता था, उसे इस बार 4500 रुपये में बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर अब भी आर्डर नहीं मिले तो इससे भी कम दाम पर पुतले बेचने पड़ेंगे।पुतले तैयार करने का सामान बेचने वाले राहुल बताते हैं कि कोरोना वायरस महामारी के चलते चैत्र के नवरात्र से लेकर श्री महावीर जयंती, श्री गणेश उत्सव व श्री कृष्ण जन्माष्टमी सहित सभी त्योहार घर की चारदीवारी या फिर मोहल्ले के सीमित दायरे में मनाए गए थे। इस बार भी दशहरे का त्योहार मोहल्ला स्तर पर ही मनाने के संकेत मिल रहे हैं। यही कारण है कि कारीगर इस बार छोटे पुतले के लिए ही सामान की मांग कर रहे है।छोटे पुतले बच्चों के पसंदीदा रहे है। जिसकी मांग इस बार अधिक हो रही है। अस्तित्व बचाए रखने को तैयार कर छोटे पुतले पिछले लंबे अर्से से पुतले तैयार करने वाले संजीवन लाल बताते हैं कि शहर में अभी तक रामलीला ही शुरू नहीं हो पाई है तो दशहरे की आस लगाना बेकार है।काम का अस्तित्व बचाए रखने को छोटे पुतले तैयार किए जा रहे है। पहले दशहरे पर 70 फुट के रावण व 50-50 फुट के कुंभकरण व मेघनाद के पुतले तैयार करने का आर्डर मिल जाता था। जेल रोड पर रहने वाले परिवारों को 150 के करीब पुतलों का आर्डर मिल जाता था। काम की अधिकता के चलते बाहर से भी कारीगर बुलाने पड़ते थे। इस बार दस प्रतिशत भी आर्डर अभी तक नहीं मिला है।

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