इस पहाड़ पर हैं एक साथ 11 शिवलिंग, फिर भी यहां मंदिर नहीं बन पाया.. जानिए क्यों ?

रश्मि प्रभा की रिपोर्ट
गुफाओं का पुरातनकाल से ऐतिहासिक महत्व तो रहा ही है। साथ ही इनके अंदर की दुनिया भी कुछ कम रोमांचक नहीं लगती। अमूमन हम पढ़ते और सुनते हैं कि किसी गुफा में कभी ऋषि-मुनियों ने तपस्या की तो किसी ने गुफाओं में ग्रंथ लिखे। कुछ गुफाओं का संबंध तो पाताल लोक से भी माना जाता है। कुछ को उनकी गहराई के लिए जाना जाता है तो कुछ को उनकी शिल्पकलाओं के लिए। भारत के अलावा विदेश में भी ऐसी रहस्यमयी गुफाओं की लंबी फेहरिस्त है। तो आइए ऐसी ही गुफाओं के बारे में हम यहां विस्तार से जानते हैं….
भारत की लाजवाब बादमी गुफा
विदेश की गुफाओं से पहले आइए जानते हैं कर्नाटक के बगलकोट जिले की ऊंची पहाड़ियों में स्थित बादामी गुफा के बारे में। यह बहुत ही खूबसूरत गुफा है। इसमें निर्मित हिंदू और जैन धर्म के चार मंदिर अपनी खूबसूरत नक्काशी, कृत्रिम झील और शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध हैं। चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफा की शिल्पकारी भी बेहतरीन है। बता दें कि इस गुफा में भगवान विष्णु और भगवान शिव का एक मंदिर भी है।
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इस गुफा से जाता है पाताल लोक का रास्ता
क्रूबर, वोरोन्या के ब्लैक सागर के तट पर अबकाजिया शहर में स्थित है। माना जाता है कि यह दुनिया की सबसे गहरी गुफा है। इस गुफा की गहराई 2197 मीटर यानी लगभग 7208 फीट है। यह गुफा धरती के अंदर कई शाखाओं में बंटी हुई है। यही वजह है कि पुरातत्व विद्वानों ने इस गुफा को पाताल लोक का रास्ता भी कहा है। इस पाताली गुफा की खोज वर्ष 1960 में की गई थी। यूं तो इसका मूल नाम क्रूबर है लेकिन इसे वोरोन्या यानी कि कौओं की गुफा भी कहते हैं।
पहाड़ियों पर बनीं ये गुफाएं भी हैं खास
ओडीशा में भुवनेश्वर के पास स्थित दो पहाड़ियां हैं उदयगिरि और खंडगिरी। बता दें कि इन पहाड़ियों में आंशिक रूप से प्राकृतिक व आंशिक रूप से कृत्रिम गुफाएं हैं। इनका पुरातात्विक, ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। हाथीगुम्फा शिलालेख में इनका वर्णन ‘कुमारी पर्वत’ के रूप में आता है। ये दोनों गुफाएं लगभग दो सौ मीटर के अंतर पर हैं और एक दूसरे के सामने हैं। ये गुफाएं अजंंता और एलोरा जितनी प्रसिद्ध तो नहीं हैं लेकिन इनका निर्माण बेहतरीन तरीके से किया गया है जो बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
इस गुफा का भी है पाताललोक से संबंध
क्रूबर के अलावा हिमालय की वादियों में भी एक गुफा है जिसका ताल्लुक पाताल लोक से बताया जाता है। इस गुफा के बारे में महर्षि वेदव्यास जी ने स्कंद पुराण के मानसखंड 103 वें अध्याय में उल्लेख किया है। यह गुफा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में समुद्र तल से 1670 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है। बताया जाता है कि इस गुफा के अंदर कई ऐसे रास्ते हैं, जिनके विषय में स्कंद पुराण में बताया गया है कि ये रास्ते पाताल लोक को जाते हैं। हालांकि इन रास्तों का रहस्य आज तक किसी को समझ नहीं आया।