सन्नी यादव की रिपोर्ट
धान से लहलहाते खेतों, हरियाली की भीनी सुगंध और मेढ़ों ने पुरानी यादें ताज़ा कर दीं। गांव के पुराने साथियों और सहकर्मियों से ख़ूब बातें भी हुईं।
याद आया कि किस तरह मेरे परिजनों ने 60 के दशक में गांव को सिंचित करने का बीड़ा उठाया था। कैसे सूखे के दौरान राहत कार्य करवाए थे।
उन्होंने गांव के युवाओं को ट्रैक्टर चलाने, उसे सुधारने से लेकर बिजली के उपकरण बनाने तक की ट्रेनिंग दे दी थी।