Punjab

कैसे खिलेगा गेंदा फूल

विकास कुमार की रिपोर्ट

लुधियाना,  गेंदा फूल की खुशबू से पंजाब के खेत भी महकते हैं। जून-जुलाई में गर्मी सीजन के गेंदा फूल के पौधों की रोपाई की जाती है, लेकिन कोरोना काल में हवाई सेवा सामान्य न होने से कोलकाता से लड्डू गेंदा फूल के पौधों की पनीरी न आने पर फूल उत्पादक रोपाई नहीं कर पा रहे हैं। रोपाई के लिए अस्सी फीसद पनीरी कोलकाता से ही मंगवाई जाती है।

फिलहाल रकबे के 20 फीसद में पंजाब गेंदा नंबर वन की रोपाई करने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें दिक्कत यह है कि न जरूरत के मुताबिक पनीरी मौजूद है और न ही कोई नर्सरी। साफ है कि उत्पादकों को रोपाई का यह सीजन भी हाथ से फिसलता नजर आ रहा है।

विवाह समेत तमाम समारोह बंद होने से टूट चुकी है उत्पादकों की कमर

22 मार्च से करीब ढाई माह के लिए लगे लॉकडाउन ने फूल उत्पादकों का तमाम गणित बिगाड़ कर रख दिया। इस अवधि में अधिकतर फूलों की फसल आती है, लेकिन धार्मिक संस्थान, मैरिज पैलेस, होटल, रेस्टोरेंट एवं हर तरह के समारोह बंद होने के कारण फूलों की बिक्री ठप हो गई। ऐसे में उत्पादकों को करीब छह सौ एकड़ तक फसल खेत में ही जोतनी पड़ी। नतीजतन फूल उत्पादकों को एरिया के हिसाब से डेढ़ लाख से दस लाख रुपये तक का नुकसान हुआ। अभी भी इसकी भरपाई करना कठिन हो रहा है।

किसी भी फूल की प्रोसेसिंग का इंतजाम नहीं : गुरविंदर सोही

पंजाब फ्लावर ग्रोअर्स क्लब के अध्यक्ष गुरविंदर सिंह सोही ने कहा कि कोरोना ने फूल उत्पादकों की कमर तोड़ दी है। मार्च, अप्रैल और मई में कारोबार ठप रहा। सारा फूल बर्बाद हो गया। गुलाब के अलावा किसी भी फूल की प्रोसेसिंग का इंतजाम नहीं है। ऐसे में खेतों में ही नष्ट करना पड़ा। अब कोलकाता से पनीरी न आने से रोपाई प्रभावित हो रही है। सारी पनीरी हवाई जहाज से मंगवाई जाती है और इसका सिस्टम नहीं बन पा रहा।

राज्यों से भी होती है आपूर्ति

उत्पादकों का कहना है कि प्रदेश में करीब पांच हजार एकड़ जमीन में फूलों की खेती की जाती है। लोकल पैदावार के अलावा प्रदेश की मांग पूरी करने के लिए यहां की मार्केट में दिल्ली, लखनऊ, बेंगलुरु, इंदौर, जयपुर, कोलकाता और हिमाचल प्रदेश से भी फूल की आपूर्ति की जा रही है।

ट्रेडर्स की मनमानी झेलने काे मजबूर

गुरविंदर सिंह ने कहा कि फूल की मार्केटिंग के लिए सरकार ने कोई इंतजाम नहीं किया है। ऐसे में उत्पादकों को ट्रेडरों की मनमानी झेलनी पड़ती है। इसकी खेती छोटे किसान करते हैं और आर्थिक तंगी के चलते मुश्किलें बढ़ी हैं। उत्पादकों को राहत देने के लिए प्रोसेसिंग पर भी फोकस करना होगा।

प्रोसेसिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाए: गुरप्रीत

क्लब के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट गुरप्रीत सिंह शेरगिल का कहना है कि गुलाब सारा साल चलता है। मार्च-अप्रैल में जब इसकी फसल आती है तो मांग के मुकाबले आपूर्ति बढ़ जाती है और रेट कम होने पर इसकी प्रोसेसिंग की जाती है, लेकिन यह सीजन भी खराब हो गया। उनका तर्क है कि फूलों की प्रोसेसिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाए।

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