Punjab

भीख मांग रहा है लेकिन है शहंशाह, पढ़िए हकीकत तो मान लेंगे आप

राकेश की रिपोर्ट

पठानकोट । कोरोना वायरस संक्रमण काल में भी पठानकोट का राजू शहंशाह साबित हुआ। उसके काम की गूंज आज पीएम नरेंद्र मोदी के मुंह से भी सुनाई दी। पीएम ने आज मन की बात कार्यक्रम में राजू का जिक्र किया। कहा कि राजू कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच जरूरतमंदों के बीच मास्क और राशन बांट रहा है।

पंजाब के पठानकोट में चौक-चौराहे पर भीख मांगता राजू चलने-फिरने में असमर्थ है। धूल से भरे कपड़े। कभी रेंगते हुए तो कभी व्हीलचेयर पर व भीख मांगना है, लेकिन उसकी सोच बड़ी है। वह दुनिया के लिए भले ही भिखारी दिखे, लेकिन वह जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा आगे रहता है।

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Punjab: Raju, specially-abled man from Pathankot, who was mentioned by PM in Mann Ki Baat today,has been distributing masks&ration among needy amid lockdown. He says,”There are many like me who are dependent on begging for their survival.I spend what I earn to help others”

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पठानकोट में अधिकांश लोग राजू को जानते हैं

उसका अंदाज ही कुछ ऐसा है कि जो एक बार देख ले उसे भूल नहीं पाता। लोगों को जब उसके नेक कामों के बारे में पता चलता है तो भीख देने के लिए बढ़े हाथ सलाम के लिए भी उठ खड़े होते हैं। वह भीख मांगकर पैसे जोड़ता है और फिर उसे नेक काम में लगाता है।

जहां भी मदद के जरूरत होती है वह अपनी हैसियत के अनुसार देता है। पठानकोट की ढांगू रोड स्थित एक पुलिया टूट गई थी। यहां कई लोग हादसे का शिकार हो गए। राजू भी यहां हादसे का शिकार हुआ। सरकारी महकमा पुल को ठीक करने के लिए कदम नहीं बढ़ा पाया तो राजू ने खुद इसको बनाने का बीड़ा उठाया। उसने मिस्त्री बुलाकर पुलिया की मरम्मत करवाई।

राजू बचपन से ही दिव्यांग है। उसके माता-पिता की बचपन में ही मौत हो गई थी। तीन भाई और तीन बहनें हैं। पर दिव्यांग होने की वजह से उन्होंने 30 साल पहले राजू को बेसहारा छोड़ दिया था। सड़क पर भीख मांगने के अलावा जीने को कोई जरिया न था। नियति को स्वीकर कर राजू ने भीख मांगना शुरू कर दिया। भाई-बहन फिर उससे कभी नहीं मिले। अपनों की बेरुखी और तिरस्कार से राजू बहुत आहत था। उसे सड़क पर भीख मांगता हर बच्चा, हर भिखारी उसे अपना लगता। उनकी मजबूरी और दर्द को वह अपना समझता। जज्बातों के ढेर तले ढांढस ढूढते बचपन बीत गया। भीख में जो मिलता, उससे पेट पल जाए बस इतना ही उसे चाहिए था। जो बचता, वह जरूरतमंदों के हवाले कर देता।

राजू अब तक कई बेसहारा लोगों को सहारा दे चुका है। जिन्हें राजू के कार्यों के बारे में पता है वह उसे दिल खोलकर दान देते हैं। राजू भी इनका दुरुपयोग नहीं करता। वह इन पैसों से जरूरतमंद परिवारों की हरसंभव सहायता करता है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर साल कुछ सिलाई मशीनें उपलब्ध कराता है। कुछ बच्चों की फीस का खर्च उठाता है। कॉपी-किताब के लिए मदद करता है। कोरोना वायरस संक्रमण काल में भी राजू मदद के हाथ बढ़ा रहा है।

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