विकास कुमार की रिपोर्ट
जालंधर। ये मजबूरी का सफर है। घर जाने के लिए 2 दिन तक मजदूरों ने ट्रेन का इंतजार किया। रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो जालंधर से एक हजार किलोमीटर बाराबंकी के लिए 6 सीटर ऑटो में बुधवार दोपहर को 13 मजदूर घर की ओर चल दिए। उनका कहना था कि लॉकडाउन कितना लंब चलेगा पता नहीं।
सभी एक ही गांव के हैं। कुछ गोल-गप्पे की रेहड़ी लगाते हैं तो कुछ फैक्ट्री में काम करते हैं। केवल 5 हजार रुपए पेट्रोल के खर्चे के लिए हैं। हैरानी है कि इस दम घुटने वाले सफर में सेहत को नुकसान भी पहुंच सकता है। अगर कोई भी कोरोना संक्रमित हुआ तो सभी चपेट में आ जाएंगे।