आखिर कब तक ?

विश्वव्यापी कोरोना महामारी से सुरक्षा की दृष्टि से की गई संपूर्ण लाक डाउन से जनता को एक जानलेवा संक्रमण से बचाव का उपाय जरुर कार आमद किया गया है लेकिन इससे एक खास वर्ग को खास तरह की दुरुहता का भी सामना करना पड़ रहा है। आइए आज एक बुजुर्ग की दुविधा पूर्ण स्थिति से हम आपको रुबरु कराते हैं। – संपादक
25 मार्च से अब तक मैं भारत सरकार की गाइडलाइंस का पूरी तरह से पालन करता चल रहा हूं, लेकिन कब तक?हर चीज की एक सीमा होती है, बच्चों से जो पैसा मिलता था ओ रुक गया, पास में जो था वो धीरे धीरे खतम हो रहा है आगे कैसे होगा चिंता होना स्वाभाविक है, मैं ही नहीं करोड़ों लोग हैं जो इस भयावह स्थिति से दो चार हैं, बहुत सारे ऐसे भी जो भूख प्यास से बिलख रहे हैं, आपसे मेरा निवेदन भरा प्रश्न है, और आशा भी है कि आप हमें संतुष्ट करोगे,हर जिले में एक सांसद और कई विधायक होते हैं क्या इस बिषम परिस्थितियों में इन सबका उत्तर दायित्व नहीं बनता कि ये सब अपनी जनता के साथ खड़े होते वैसे ही जैसे डाक्टर और देश की पुलिस जनता की सेवा में समर्पित है। जिस समय जनता को अपने जन प्रतिनिधियों के साथ की जरूरत है उस समय ये सब अपने अपने एयरकंडीशनर कमरों में आइशोलेट है सेनेटाइजिस्ट है।
राजा बाबू
दरियाव खेड़ा, सरेनी, राय बरेली, उत्तर प्रदेश