‘घर में खाने के लिए कुछ भी नहीं, उबले आलू खाकर कर रहे गुजारा’

विकास की रिपोर्ट
जालंधरः घर पर खाने के लिए कुछ भी नहीं है। हम उबले आलू खाकर गुजारा कर रहे हैं। कोई भी हमें भोजन देने नहीं पहुंचा। यह कहना है जालंधर के गांव फलेह जलाल की झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाली 10 साल की लीला का। गंदे नाले के पास बनी इन झुग्गियों में रहते 100-150 लोगों पर हर समय बीमारियों का खतरा मंडराता रहता है। इन दिनों इन लोगों के लिए जीने का सहारा केवल उबले आलू हैं। उनके पास गैस स्टोव या सिलेंडर नहीं हैं। बिहार से आए यह लोग पिछले 25 सालों से यहां रह रहे हैं।
झुग्गी में रहने वाले मनजिंद्र ने बताया कि जब से लॉकडाउन हुआ है तब से उन्हें भरपेट खाना नहीं मिला है। सरपंच भी उनकी मदद के लिए नहीं आ रहा न ही उन्हें राशन भेज रहा है। अगर ऐसा कुछ दिन और रहा तो वह भूख से मर जाएंगे। लॉकडाउन के कारण उन्हें कोई काम मिलने के आसार भी नहीं है। वहीं रहती राज रानी ने बताया कि उसके 5 बच्चों ने पिछले 15 दिनों से भरपेट खाना नहीं खाया है। स्कूल जाते थे तो मिड-डे मील मिल जाता था। पर लॉकडाउन के कारण किसी को भी उनकी परवाह नहीं। हम केवल कुछ बासी आलू खा रहे है,जिससे 10-12 लोग बीमार हो चुके हैं। भारत में लॉकडाउन और पंजाब में लगे कर्फ्यू के चलते काम पर न जाने और राशन न मिल पाने के कारण कई परिवार भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। केंद्र और राज्य सरकार को चाहिए कि इन लोगों की मदद के लिए आगे आएं।