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देश में पहली बार किसी 68.3 घंटे के नवजात बच्चे ने कैसे किया अपना अंग दान ?

राकेश की रिपोर्ट

चंडीगढ़ः देश के इतिहास में पहली बार किसी 68.3 घंटे के नवजात बच्चे के दिमाग के पूरी तरह से विकसित न होने पर उसके परिजनों की ओर से उसके शेष अंगों को पी.जी.आई. में दान करने का मामला सामने आया है। पी.जी.आई. के चिकित्सकों ने कहा कि नवजात बच्चे की सर्जरी करना और उसकी किडनी को दूसरे मरीज में ट्रांसप्लांट करना अपने आप में एक ऐतिहासिक कदम था। रोटो के संयोजक डा. विपिन कौशल ने बताया कि पी.जी.आई. में 1996 में कैडेवर ओर्गन ट्रांसप्लांट प्रोग्राम शुरू हुआ था। इन 24 सालों में पी.जी.आई. एवं देश में पहला सबसे कम उम्र के डोनर का अंगदान हुआ है।
पी.जी.आई. के निदेशक प्रो. जगत राम ने जिला पटियाला के रहने वाले नवजात बच्चे के माता-पिता के साहसिक कदम को सराहा और कहा कि उन्होंने अपने बेटे को खोया नहीं बल्कि उसके अंग को दान कर दूसरे को जिंदगी देकर अमर कर दिया है। जिस मरीज में किडनी ट्रांसप्लांट हुई है वह पूरी उम्र आपका ऋणी रहेगा। उन्होंने कहा कि माता-पिता को अपनी नवजात संतान के खोने का गम है। जिला पटियाला के रहने वाले दंपति की ओर से अपने बच्चे के शेष अंगों को दान करने पर कहा गया कि उन्हें पता है कि उनका बच्चा ज्यादा दिन नहीं जीने वाला है तो ऐसे में उसके अंगों को दान कर किसी दूसरे मरीज की जिंदगी को बचाया जा सकता है।
इस सर्जरी को अंजाम देने के लिए संस्थान निदेशक ने नियो नेटोलाजी, रेडियोलाजी, नेफ्रोलाजी, एनाथिसिया, इम्यूनोपैथीलाजी व ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग के चिकित्सकों की टीम के काम की प्रशंसा की।

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