आत्माराम त्रिपाठी की बिशेष रिपोर्ट
बांदा । जनपद के केन नदी नसेनी घाट पर मध्यप्रदेश से उत्तर प्रदेश में आने के लिए केन नदी में एक रपटा बना है यह प्राकृतिक निर्माण कार्य है या खनन माफियाओं द्वारा अपने कार्य को गति प्रदान करने के लिए इन माफियाओं द्वारा बनवाया गया है। पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता पर जो देखा उसे हम झुठला भी नहीं सकते।
मैंने ही नहीं बड़े बड़े खबर नबीसो ने भी देखा। लेकिन उनके सामने चुनौती थी “अलाव पे चौपाल ” खिचड़ी भोज आयोजित कार्यक्रम को कबर करने की । केन नदी जल आरती को कबर कर खबर बनाने की हमने भी इस खबर को खबर की तरह प्रकाशित किया । करते भी क्यों नहीं क्योंकी इस कार्य क्रम में जिले के जिलाधिकारी ने जो शिरकत की थी। सो हम आप सबको दिखा रहे हैं।
देखिए तस्वीरें यह है केन नदी की जलधारा और उस पर से गुजरते हुए चार पहिया वाहन।
सामने देखिए पुल कहे या रपटा जिसके आगे जिलाधिकारी के आगमन के पहले तोडा गया या इसे अवरोधक बनाया गया कहा जाय तो ज्यादा बेहतर होगा।
आगे देखिए जिलाधिकारी के आगमन के पहले किस तरह से माफियाओं ने अपने अबैध बालू डंप को साफ ही नहीं किया निशान भी मिटाने की पूरी कोशिश की। पर हमारे कैमरे से उसकी यह कारतूत छिप न सकी और उसे हमने अपने कैमरे में कैद करते हुए आपके सामने रखा।
अभी पूर्ण रूप से बालू भंडार हटा भी नहीं है इसे मैंने ही नहीं जिलाधिकारी के स्वागत में लगे पूरे सरकारी तंत्र ने देखा पर अनदेखा किया और लगे रहे केन नदी पूजा अर्चना आरती उतारने में और इन्ही सबके सामने नदी का सीना छलनी होता रहा ।
यह अलग बात है कि वह सीमा मध्य प्रदेश की थी और इंतजार कर रही थी कि यह संगीत व अलाव कब खत्म होगा। इनका खिचड़ी भोज कब बंद हो और यह जाय और हम अपने पुल को सही कर अपने खड़े ट्रक निकालें।
तो सवाल उठता है कि क्या केवल नदी पूजा अर्चना आरती उतारने भर से जल संरक्षण संवर्धन व उसकी स्वच्छता बरकार रहपायेगी? क्या बुन्देलखण्ड की जीवन दायिनी मां का सीना इसी तरह बेरहमी से छलनी किया जाता रहेगा और हम आशा करे कि वह हमारे लिए जीवन दायिनी बनेंगी? सो हमे तो नहीं लगता कि ऐसा होगा या हो रहा है। अगर आप सब ऐसा सोचते हैं तो उसमें अब हम क्या कर सकते हैं और क्या कह सकते है ?