डाइंग और वाशिंग यूनिट के प्रदूषित पानी से मंडराता खतरा

विक्की की रिपोर्ट
लुधियाना: यदि आपको हौजरी के उत्पादों की वाशिंग करनी है तो उसके लिए पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के नियमों की परवाह करने की जरूरत नहीं। बस, अफसरों की निजी कंसैंट लें और धड़ल्ले से वाशिंग के लिए पानी का इस्तेमाल करें। इसके बदले में आपको हर माह निजी कंसैंट की निजी फीस देनी होगी। महानगर में हौजरी के उत्पादों की धुलाई यानी वाशिंग करने के लिए 200 से ज्यादा ऐसे यूनिट सामने आए हैं जो रोजाना कम से कम 10 हजार लीटर से लेकर 60 हजार लीटर तक पानी का इस्तेमाल करते हैं। वाशिंग वाला यह पानी बिना ट्रीट किए सीधे बुड्ढे नाले में फैंका जा रहा है।
हमारी टीम ने 50 वाशिंग यूनिट देखे तो पता चला कि सब बिना बोर्ड की कंसैंट के चल रहे हैं। पूछने पर वाशिंग यूनिट के मालिक कहते हैं कि साहब, की कंसैंट है तो कागजों के पचड़े में क्यों पडऩा। अधिकतर यूनिट बहादुरके रोड, काराबारा रोड, हैबोबाल, मोती नगर, राहों रोड, सुंदर नगर, बाजवा नगर में लगे हैं। मोटे तौर पर 25 हजार लीटर पानी बहाने की प्रति यूनिट की क्षमता को ले लिया जाए तो 200 यूनिट को 25 से गुणा करने पर 50 लाख लीटर पानी बनता है। यह आंकड़ा मोटे तौर पर लिया गया है। नियमों के मुताबिक 2 हजार लीटर तक पानी इस्तेमाल करने वाले यूनिट को कंसैंट लेने की जरूरत नहीं होती। इससे ऊपर तभी वाशिंग यूनिट चलेगा अगर प्रदूषण बोर्ड उसे चलाने की इजाजत दे।
चीफ इंजीनियर के पास फोन उठाने का समय नहीं
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चीफ इंजीनियर गुलशन राय से जब उनका पक्ष जानने के लिए कई बार फोन किया गया तो उन्होंने इस बार फिर फोन नहीं उठाया। उन्हें सिर्फ वही फोन उठाने पसंद हैं जो उनकी निजी कंसैंट के लिए आएं।