आपके इर्द-गिर्द मंडरा रहा है ये जानलेवा वायरस

नया भारत दर्पण फीचर डेस्क
चीन में सार्स जैसा वायरस तेजी से फैल रहा है। इसके सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) से जुड़े होने कारण दुनिया के अमेरिका, ब्रिटेन जैसे बाकी देश भी सतर्क हो गए हैं। समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में इस घातक वायरल न्यूमोनिया से अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है जबकि इससे प्रभावित 140 नए मामले सामने आए हैं। इस नए कोरोनो वायरस के SARS से जुड़े होने कारण चीन समेत दुनिया के बाकी मुल्क सतर्क हो गए हैं।
अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी भी दहशत में, यात्रियों की हो रही जांच
इस वायरस की दहशत अमेरिका तक पहुंच चुकी है। आलम यह है कि वाशिंगटन में यात्रियों का एयरपोर्ट छोड़ने से पहले गहन स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। वैश्विक स्वास्थ्य अधिकारी श्वांस संबंधी एक नए विषाणु पर गहरी नजर रख रहे हैं जो सार्स जैसा है। समझा जाता है कि इस विषाणु से सऊदी अरब में कम से कम एक व्यक्ति की जान गई और लंदन में कतर के एक नागरिक की हालत गंभीर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि मरीज में मिला यह विषाणु सऊदी अरब के उस 60 वर्षीय बुजुर्ग के विषाणु से मिलता है, जिसकी इस साल के शुरू में मृत्यु हो गई थी। एजेंसी ने हालांकि यातायात पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश नहीं की है। उन्होंने यह भी कहा कि संक्रमण के स्रोत का भी पता नहीं चल पाया है। फिलहाल इस घटना से अगले महीने से शुरू हो रही हज यात्रा के लिए चिंता उत्पन्न हो गई है। हज यात्रा पर दुनिया भर से लाखों लोग सऊदी अरब आते हैं।
पहला मामला चीन में आया सामने
सबसे पहले चीन के चर्चित वुहान शहर में इसका पहला मामला सामने आया और हफ्ता बीतते-बीतते मामले बढ़कर 136 हो गए थे। शेनजेन के इंटरनेशनल स्कूल में शिक्षक प्रीति माहेश्वरी (45) को पिछले शुक्रवार को गंभीर रूप से बीमार पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दिल्ली में व्यापारी पति अंशुमान खोवाल ने बताया कि प्रीति का आइसीयू में इलाज चल रहा है और उन्हें वेंटीलेटर सहित अन्य जीवनरक्षक प्रणाली पर रखा गया है। दक्षिणी चीन में नवंबर 2002 और जुलाई 2003 के बीच, इस महामारी रोग के प्रकोप में 8,0 9 6 मामले दर्ज हुए, जिसके परिणामस्वरूप 37 देशों में हांगकांग में अधिकतम प्रकोप के साथ 774 मौतें हुईं।
क्या है सार्स और कोरोना वायरस ?
यह रोगाणु एक कोरोना वायरस है जो ऐसे विषाणु परिवार से है, जिसके कारण लोग सामान्यत: जुकाम और सार्स के शिकार हो जाते हैं। सार्स श्वांस संबंधी तीव्र बीमारी है जिससे वर्ष 2003 के दौरान विशेष कर एशिया में लगभग 800 लोगों की मृत्यु हो गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, कोरोना वायरस सी-फूड से जुड़ा है। कोरोना वायरस विषाणुओं के परिवार का है। यह वायरस ऊंट, बिल्ली तथा चमगादड़ सहित कई पशुओं में भी प्रवेश कर रहा है।
लक्षण
कोरोना वायरस के मरीजों में आमतौर पर जुखाम, खांसी, गले में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, बुखार जैसे शुरुआती लक्षण देखे जाते हैं। इसके बाद ये लक्षण न्यूमोनिया में बदल जाते हैं और किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं। अभी तक इस वायरस से निजात पाने के लिए कोई वैक्सीन नहीं बनी है। एंटीबायोटिक्स अक्सर एसएआरएस के इलाज के लिए अप्रभावी साबित होते हैं, क्योंकि यह एक वायरल बीमारी है। तो इस बीमारी का उपचार काफी हद तक एंटीप्रेट्रिक दवाओं, मैकेनिकल वेंटिलेशन और पूरक ऑक्सीजन थेरेपी पर निर्भर है।
कैसे करें बचाव
इस बीमारी के लिए कोई टीका नहीं है और इसलिए सार्स के ब्रेकआउट को रोकने के लिए क्वारंटाइन और अलगाव सबसे उपयुक्त साधन बन रहे हैं। इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए निम्न तरीके अपनाएं जा सकते हैं..
- रोगियों का कीटाणुशोधन।
- बार-बार हैंडवाशिंग, विशेष रूप से SARS संक्रमित रोगी के करीब रहने के बाद।
- गर्म, साबुन वाले पानी के साथ इस बीमारी से संक्रमित रोगी के व्यंजन, खाने के बर्तन, बिस्तर और अन्य जैसे व्यक्तिगत सामान धोना।
- बच्चों को इस संक्रमणीय बीमारी से संक्रमित स्कूल से दूर रखना। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बीमारी से संक्रमित मरीजों को अलग रखा जाना चाहिए।
- यह बीमारी वन्यजीवन को भी संक्रमित कर सकती है इसलिए मांस उत्पादों का उपभोग करने से बचें