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‘स्ट्रीट डांसर 3डी’ ना खास ना बकवास बस टाईमपास

फिल्म समीक्षा 

शामी एम इरफ़ान, मुम्बई 

‘एबीसीडी’ सीरिज़ की पिछली दो फिल्मों जैसी कहानी है लेकिन फिल्म का टाइटल “एबीसीडी 3” के बजाय  ‘स्ट्रीट डांसर’ है । यह एक डांस बेस्ड फिल्म है कदाचित कुछ नयेपन के साथ।

फिल्म की कहानी का बैकग्राउंड लंदन है । जहां दो डांस ग्रुप हैं। भारतीयों का ‘स्ट्रीट डांसर’ जिसमें सहज (वरुण धवन) है और पाकिस्तानियों का ‘रूल ब्रेकर’ जिसमें इनायत (श्रद्धा कपूर) है। इन दोनों ग्रुप वालों की आपस में नहीं बनती। भारत पाकिस्तान का मैच प्रभु अन्ना (प्रभु देवा) केे रेस्टोरेंट में साथ बैठकर देखते हैं और हारजीत को लेकर झगड़ा भी करते हैं ।
ग्राउंड ज़ीरो के मुकाबला में इनाम के तौर पर बड़ी रकम मिलती है। इनायत को यह मुकाबला जीतना है एक नेक काम के लिए, वह इंग्लैंड में इल्लीगल रहने वाले लोगों को उनके अपने देश वापस भेजना चाहती है और सहज को अपने भाई की हार को जीत में बदलने के लिए मुकाबला जीतना है। अन्ना को लगता है कि अगर दोनों मिल जाएं तो ग्राउंड ज़ीरो का मुकाबला वह जीत सकते हैं। लेकिन ये दोनों आपस में मिलना नहीं चाहते। दोनों का मिलन कराने के लिए बहुत अच्छा कन्टेन्ट है, जिसे सहज तरीीके से परदे पर उतारा गया है । ये बात अलग है कि अब आगे क्या होगा दर्शकों की समझ में आ जाता है।
एक अच्छी सोच को अच्छी स्क्रिप्ट नहीं मिली। एक डांस फिल्म में और कुछ भले न हो, डांस, गाने, म्यूज़िक शानदार होना चाहिए जो इस फिल्म में है। चूंकि निर्देशक रेमो डिसूज़ा मूलतः कोरियोग्राफर है, इस लिए उन्होंने डांस पर अधिक ध्यान दिया है ।ढाई घंटे की फिल्म में शुरू के पहले घंटे में फिल्म में मजा नहीं आता लेकिन मध्यान्तर के बाद बहुत इंट्रेस्टिंग हो जाती है। दर्शक अपनी सीट से उठना नहीं चाहता। फिल्म में बहुत सारा नाच-गाना है जो दर्शकों को लुभाता है, थिरकाता है। बमुश्किल पन्द्रह मिनट का ड्रामा है, जो हँसाता है, रुलाता है और फिल्म दिल को छू जाती है । डांस परफॉर्मेंस शुरू से लेकर अंत आते-आते निखरती चली जाती हैं और क्लाइमैक्स में फिल्म अपना बैस्ट देकर खत्म होती है।         कलाकारों की परफॉर्मेंस की बात करें तो, अभिनय और डांस में श्रद्धा कपूर ने सबसे बढ़िया काम किया है। प्रभु देवा डांस किंग है और उनकी प्रतिभा का सही उपयोग डायरेक्टर साहब नहीं कर सके। कई फिल्म कर चुके वरुण धवन अपने अभिनय और संवाद अदायगी में अभी भी कमजोर नजर आते हैं। नोरा फतेही ने अपने सुन्दर शरीर के अंग अंग को जिस तरह से से डांस कराया है वह फेमली फिल्म के उपयुक्त नहीं। हालांकि उसने बहुत ही बेहतरीन परफॉर्म किया है  फिल्म में बतौर पुलिस काप मुरली शर्मा एक जोकर की तरह इस्तेमाल किए गए हैं। अपारशक्ति खुराना, मनोज पाहवा, ज़रीना वहाब आदि ठीक ठाक हैं।
फिल्म की सिनेमाटोग्राफी सुन्दर है। एडिटिंग और शार्प हो सकती थी। बहरहाल एक डांस-मुकाबले वाली फिल्म खामियों के बावजूद मनोरंजन दे पाने के अपने मकसद में कामयाब दिखती है, जो इस किस्म की फिल्म से दर्शकों को चाहिए। निस्संदेह, बाक्स आफिस पर ‘स्ट्रीट डांसर’ में दम है । फिल्म धमाल मचा सकती है ।
रेटिंग: 2/5 स्टार ।
(वनअप रिलेशंस न्यूज डेस्क)

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