Punjab

स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से, लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से

राकेश की रिपोर्ट 

चंडीगढ़/पंचकूला। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) के सौजन्य से आज मिनी टैगोर थियेटर, सेक्टर 18 में आधुनिक हिन्दी साहित्य के छायावादी महाकवि एवं गीतकार पद्मभूषण गोपालदास नीरज के जन्म दिवस पर उन्हें शब्द-सुमन श्रद्धांजलि देने के लिए एक विशेष कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन वरिष्ठ साहित्यकार जय गोपाल अश्क की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। मंच संचालन कवयित्री व चरित्र अभिनेत्री डा. उर्मिला कौशिक सख़ी ने किया।
डॉ. सुशील हसरत नरेलवी ने कहा कि वह संगीतमय गीतों के लिखने वाले श्रेष्ठ कवि थे। गीतकार गोपालदास नीरज के साहित्यिक एवं कला के क्षेत्र में दिये गए योगदान पर विस्तृत व्यक्तव्य देते हुए डॉ. उर्मिला कौशिक ने कहा कि गोपालदास नीरज ने मंच पर हिन्दी कविता को नयी बुलन्दियों तक पहुंचाया। कवि बलवन्त तक्षक ने नीरज का गीत ‘आज की रात तुझे आखि़री ख़त और लिख दूं’ पुरकशीश लहज़े में पेश किया। सुशील नरेलवी ने गोपाल दास नीरज द्वारा लिखित गीत ‘कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे’, ‘स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से, लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से’ तथा नीरज की गजल ‘खुशबू सी आ रही है इधर जाफ़रान की’, को तरन्नुम अंदाज़ में पेश कर श्रोताओं की तालियां बटोरीं।

 

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