Punjab

बलात्कार से जुड़े मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए सात फास्ट-ट्रैक अदालत

राजेश की रिपोर्ट 

चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने राज्य में बलात्कार से जुड़े मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए सात फास्ट-ट्रैक अदालत गठित करने का फैसला किया है। साथ ही बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों से जुड़े मुकदमों की सुनवाई के लिए तीन विशेष अदालतों और 10 परिवार अदालतों का भी गठन किया जाएगा। सभी फैसले बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में किए गए।
मंत्रिमंडल ने बलात्कार के मामलों पर सुनवाई के लिये सात फास्ट-ट्रैक अदालतों के गठन का निर्णय लिया है। इसके लिए 70 नए पदों का सृजन किया गया है। इनमें से चार अदालतें लुधियाना में होंगी जबकि अमृतसर, जालंधर और फिरोजपुर में एक-एक अदालत का गठन किया जाएगा। मंत्रिमंडल ने अतिरिक्त और जिला सत्र न्यायाधीशों के सात तथा अन्य कर्मचारियों के 63 नए पदों के सृजन को मंजूरी दी है। सभी अदालतें आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के प्रावधानों को लागू करेंगी। इन अदालतों पर वार्षिक खर्च 3.57 करोड़ रुपये आने की संभावना है। अदालतों के गठन से ऐसे लंबित मामलों में कमी आएगी और फिर दो महीने में इन मुकदमों की सुनवाई पूरी करने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकेगा। एक अन्य फैसले में मंत्रिमंडल ने तीन विशेष पॉक्सो अदालतों के गठन और उसके लिए 45 नए पदों के सृजन को मंजूरी दी।

परियोजनाओं की निगरानी के लिए कमेटी गठित

पंजाब सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति गठित करने का फैसला किया जो राज्य में विभिन्न परियोजनाओं को लागू करने से संबंधित सभी जरूरी फैसले लेगी। इस अधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसमें स्थानीय प्रशासन मामलों के मंत्री और वित्त मंत्री भी शामिल होंगे। समिति की बैठक प्रत्येक सप्ताह होगी, कम से कम गठन के पहले छह महीने तक। आज की बैठक में पर्यटन को विकलांगों के लिए बेहतर बनाने, जल संसाधन नियम प्राधिकरण के गठन से जुड़ा फैसला लिया गया।

विधानसभा का विशेष सत्र 16 से

लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति/जनजाति को दिए जाने वाले आरक्षण की अवधि दस वर्ष बढ़ाने का प्रावधान करने वाले संविधान संशोधन विधेयक के अनुमोदन के लिए पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र 16 जनवरी को बुलाया गया है। इसके अलावा दो दिवसीय सत्र में अन्य महत्वपूर्ण विधायी कार्य भी निपटाये जायेंगे। इस संबंध में पंजाब मंत्रिमंडल ने यहां मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह की अध्यक्षता में निर्णय लिया। अनुसूचित जाति और जनजाति को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में पिछले 70 वर्षों से दिए जा रहे आरक्षण की समयसीमा 25 जनवरी को समाप्त हो रही है इसलिए संविधान संशोधन विधेयक का पारित होना आवश्यक है।

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