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रस्सी के सहारे कई गांवों के हजारों लोगो की कट रही झूलती जिंदगी

 पठानकोट । पठानकोट के ब्लॉक घरोटा के करीब 70 से अधिक गांवों को एन.एच. 44 जम्मू-जालंधर से जोड़ता अस्थायी पुल न बनने के कारण पंजाब-हिमाचल के मध्य बहते चक्की दरिया के साथ बसते सैंकड़ों लोग रस्सियों के सहारे अपनी जान जोखिम में डाल कर किश्ती से नदी पार कर रहे हैं। प्रशासन ने पिछली बरसात से पहले उठाए अस्थायी पुल को पुन: बनाना ही भुला दिया है। अब नदी के किनारे भी अवैध माइनिंग के चलते 40 फुट गहरे हो जाने से किश्ती तक पहुंचना भी कठिन हो गया है।

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नेताओं के बड़े-बड़े वायदे और सब्जबाग दिखा कर चुनावों से पहले लोगों को लुभाने के बाद एकदम से वायदों की हवा निकलती दिखाई देती है, जिसके कारण लोगों में भारी रोष पाया जा रहा है। हिमाचल, चंडीगढ़, जालंधर आदि जाने के लिए नैशनल हाईवे मार्ग एक किलोमीटर की दूरी पर ही है मगर पुल न होने के कारण वहां तक का सफर 20 किलोमीटर का करना पड़ता है इसी कारण लोग 20 किलोमीटर से अधिक सफर से बचने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना खुद को जोखिम में डाल कर चक्की नदी में किश्ती के दोनों किनारे बांधी मात्र एक रस्सी के सहारे नदी के आर-पार आ जा रहे हैं। सरकार व प्रशासन को इसकी आवश्यकता को समझते चक्की में स्थायी पुल का शीघ्र निर्माण करना चाहिए।

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इस संबंध में कामरेड लाल चंद कटारुचक, भाजपा नेता निर्मल सिंह पापियाल, जनक राज, कुलदीप कुमार, जबवीर सिंह, प्रदीप कुमार, दलजीत सिंह आदि ने कहा कि अबादगढ़ सिम्बली चक्की दरिया पर पक्का स्थायी पुल बनाने की मांग लोग लम्बे अरसे से करते आ रहे हैं। कई माह से अस्थायी पुल न होने के कारण लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं लगातार अवैध माइनिंग के चलते पानी की गहराई किनारे से करीब 150 फुट के नीचे जा पहुंची है। अब नदी में अधिक पानी आने के कारण मिट्टी के तोंधे गिरने का डर बना रहता है इस कारण किनारे से किश्ती तक पहुंच पाना भी खतरे से खाली नहीं है।

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